Sanjha Morcha

अब सीमा पर युद्ध लड़ेंगी महिलाएं

Posted On February – 24 – 2016

सशस्त्र बलों में महिलाओं को अब युद्ध मोर्चे पर शामिल करने का यह वादा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बजट-सत्र के उद्घाटन पर दोनों सदनों को संबोधित करते हुए किया। लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद देश के सशस्त्र बलों में 340 महिला अफसरों को स्थायी  नियुक्ति (परमानेंट कमिशन) तो मिल गयी है, लेकिन अब तक युद्ध के मैदान से उन्हें दूर ही रखा गया है। लेकिन अब यह तस्वीर बदलेगी…

सरकार ने केन्द्रीय अर्ध-सैनिक बलों– सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी और एनएसजी में 20,000 और महिलाएं भर्ती करने का फैसला किया है। यानी आने वाले तीन से पांच वर्ष में प्रत्येक अर्द्ध-सैनिक बल में सशस्त्र महिलाओं की कुल संख्या पांच प्रतिशत हो जायेगी। उसके बाद अगले पांच वर्ष में यह संख्या 10 प्रतिशत हो जायेगी। वर्तमान में सभी अर्द्ध- सैनिक बलों में कुल मिलाकर मात्र एक प्रतिशत महिलाएं अपनी सेवाएं दे रही हैं। सरकार ने सीआरपीएफ व सीआईएसएफ जैसे अर्द्ध-सैनिक बलों में 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व रखने की मंजूरी दी है। ये पद कांस्टेबल स्तर के होंगे। सीमा सुरक्षा बल, सशस्त्र सीमा सुरक्षा बल और आईटीबीपी में 15 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए रिजर्व रहेंगे।
सीआईएसएफ, आईटीबीपी, बीएसएफ और एसएसबी में शुरुआत में कांस्टेबल पद पर महिलाओं की भर्ती होती थी। अब पिछले कुछ वर्षों में इन अर्द्ध-सैनिक बलों में महिला अधिकारियों की भर्ती के दरवाजे खोल दिये गये हैं। सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, बीएसएफ और एसएसबी में युद्धक भूमिका में भी महिला अधिकारी नज़र आने लगेंगी।

अगले साल 3 लड़ाकू पायलट

वर्ष 2015 में रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायुसेना में महिलाओं को लड़ाकू पायलट के तौर पर शामिल करने की इजाज़त दी थी। हैदराबाद एयर फोर्स अकादमी के मौजूदा बैच में ट्रेनिंग ले रही महिला पायलटों में से तीन का इसके लिये चयन किया गया है। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद जून 2016 से महिला पायलटों को वायुसेना में लड़ाकू पायलट के दौर पर शामिल किया किया जाएगा। हालांकि इसके बाद उन्हें और ट्रेनिंग दी जाएगी और महिला पालयट को लड़ाकू विमान के कॉकपिट में दाखिल होने के लिए जून 2017 तक इंतज़ार करना होगा। वायु सेना अकादमी में 125 कैडेट्स में लड़ाकू विमान उड़ान की क्षमताओं को गहनता से परखा जा रहा है। लड़ाकू पायलट के तौर पर शार्ट सर्विस कमिशन अधिकारी के रूप में केवल 5 साल के लिए ‘प्रायोगिक आधार’ पर ही वे अपनी सेवाएं दे पायेंगी।
महिलाओं को ‘फ्रंट’ पर तैनात करने में सेना व नेवी को भी कुछ हिचकिचाहट है। वे समझते हैं कि सीमा पार से होने वाली गोलीबारी व घुसपैठ की कोशिशों के चलते नियंत्रण रेखा, और बंकरों में महिलाओं को तैनात करने में कई तरह की दिक्कतें हैं।

अभी मिली हुई हैं ये भूमिकाएं

सेना : सेना में महिलाएं सिग्नल्स, इंजीनियर्स, आर्मी एविएशन (एयर ट्रैफिक कंट्रोल), आर्मी एयर डिफेंस, इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स, आर्मी सर्विस कॉर्प्स, आर्मी ऑर्डिनेंस कॉर्प्स, इंटेलीजेंस कॉर्प्स, आर्मी एजुकेशन कॉर्प्स और जज एडवोकेट जनरल्स ब्रांच/कैडर में हैं।
नौसेना : महिलाएं जज एडवोकेट जनरल, लॉजिस्टिक्स, ऑब्जर्वर, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर, नेवल कंस्ट्रक्टर और एजुकेशन ब्रांच/कैडर में काम कर रही हैं।
वायुसेना : वायुसेना में महिलाएं फ्लाइंग ब्रांच की ट्रांसपोर्ट और हेलिकॉप्टर स्ट्रीम के साथ ही नेविगेशन, एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग, एडमिनिस्ट्रेशन, लॉजिस्टिक्स, अकाउंट्स, एजुकेशन और मौसम से जुड़ी शाखाओं में काम कर रही हैं।

यहां मिला है परमानेंट कमीशन

महिलाओं को आर्मी, एयरफोर्स व नेवी की जेएसी (जज एडवोकेट जनरल) यूनिट व एजुकेशन कोर में ही मुख्य तौर पर परमानेंट कमिशन मिल पाता है। इसके अलावा एकाउंट, सामान्य प्रशासन व मेट्रोलाजी विंग में स्थायी नियुक्ति का प्रावधान है।

कहां कितनी महिला अफसर

पिछले साल रक्षा राज्यमंत्री राव इंद्रजीत ने राज्यसभा में बताया था कि सेना में 1412, वायुसेना में 1128 और नौसेना में 418 महिला शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत अधिकारी सेवारत हैं। वायु सेना में 351 महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दिया गया है। नौसेना में एक भी महिला को स्थायी कमीशन नहीं है।

पुरुषों के साथ कदमताल

भारत में

  • सशस्त्र बलों में 1990 के शुरू में जाकर महिलाओं की अधिकारी के तौर पर भर्ती होनी शुरू हुई। परन्तु यह भर्ती कुछ गिने-चुने क्षेत्रों में अधिकतम 14 साल के लिए थी।
  • लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद 2008 से कुछ गिनी-चुनी शाखाओं में महिलाओं को स्थायी कमिशन (पीसी) दिया जाने लगा है। अभी तक करीब 350 महिलाओं को ही सशस्त्र बलों में स्थायी कमिशन दिया गया है।
  • भारत में महिलाओं को फिलहाल लड़ाकू विमान उड़ाने की इजाजत नहीं है, उनकी युद्धपोतों में तैनाती नहीं की जाती तथा इंफेंटरी, आर्मर्ड कोर व
    आर्टिलरी यूनिट में उन्हें भर्ती नहीं किया जाता।

अन्य देशों में

  • अमेरिका, रूस, तुर्की व पाकिस्तान में महिलाएं लड़ाकू विमानों में पायलट तैनात हैं।
  • मलेशिया, बंगलादेश, श्रीलंका समेत कई देशों में युद्धपोतों में महिलाएं भी तैनात हैं।
  • अमेरिकी परमाणु पनडुब्बियों में भी महिलाएं सेवारत हैं।
  • अमेरिका व इंगलैंड में लड़ाकू यूनिट लड़ाकूलड़ छोड़कर शेष सभी सैन्य यूनिटों में महिलाएं भी कार्यरत हैं।

जर्मनी में भी उठा संख्या बढ़ाने का मुद्दा

जर्मनी में भी सेना पर महिलाएं बढ़ाने का दबाव बढ़ गया है।  वहां सेना में फिलहाल महिलाओं की संख्या 10 फीसदी है। 2001 से महिलाएं सेना में किसी भी पोस्ट के लिए अप्लाई कर सकती हैं, लेकिन कई महिलाएं सेना में एकीकरण को मुश्किल मानती हैं और काम करने के माहौल को भी सही नहीं मानती।

24 साल बाद पहले खुले थे दरवाजे

महिलाओंके लिए वायुसेना का दरवाजा जून 1993 में पहली बार खुला था। पूरे 24 साल बाद जून 2017 में लड़ाकू विमानों का कॉकपिट भी खुलेगा। 1993 में जब पहली बार महिलाओं की भर्ती वायुसेना में हुई थी, तब पांच साल के लिए प्रायोगिक तौर पर नॉन-टेक्निकल ग्राउंड ड्यूटी दी गयी थी। प्रयोग सफल रहा। अब लड़ाकू विमानों को छोड़कर वायुसेना की सभी शाखाओं में शॉर्ट सर्विस कमीशन में महिलाएं भर्ती होती हैं।